एनकाउंटर के बाद विकास दुबे की संपत्तियों की जांच शुरू कर दी गई है. इसके लिए ईडी ने यूपी पुलिस से विकास दुबे और उसके परिवार के सदस्यों, सहयोगियों की आपराधिक गतिविधियों का विवरण मांगा है.
एनकाउंटर के बाद अब गैंगस्टर विकास दुबे की संपत्ति की जांच होगी. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने विकास दुबे की संपत्तियों की जांच शुरू कर दी है. ईडी ने यूपी पुलिस से विकास दुबे और उसके परिवार के सदस्यों, सहयोगियों के साथ आपराधिक गतिविधियों में सहयोगियों का विवरण मांगा है. प्रवर्तन निदेशालय ने विकास दुबे के खिलाफ आपराधिक मामलों की वर्तमान स्थिति की भी जानकारी मांगी है.
दुबई, थाईलैंड में निवेश की काली कमाई
ईडी ने विकास दुबे की संपत्ति की सूची उतर प्रदेश पुलिस से मांगी है. विकास दुबे के नाम से लखनऊ में दो बड़े मकान हैं. जय बाजपेयी, जो कि विकास दुबे का फाइनेंसर और सबसे विश्वस्त था, उसके माध्यम से विकास दुबे ने अपनी काली कमाई का हिस्सा दुबई और थाईलैंड में निवेश किया है.
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक नोटबंदी के पहले के करीब 6.30 करोड़ रुपये की नगदी को विकास दुबे ने 2% सूद पर चलाया था. बताया जा रहा है कि जय बाजपेयी ने इस 2% को 5% छूट पर मार्केट में दे रखा है. विकास दुबे की पत्नी रिचा दुबे से पुलिस ने कई मामलों में पूछताछ की है. खासकर नेताओं और व्यापारियों के साथ संबंध को लेकर भी पूछताछ हुई है.
एनकाउंटर से पहले कानपुर में स्थानीय प्रशासन ने विकास दुबे के किले जैसे घर को उसी जेसीबी से मिट्टी में मिला दिया था जो पुलिस टीम के घेराव में इस्तेमाल की गई थी. फिर उसकी कारों को जेसीबी के नीचे कुचला गया. उसका लखनऊ में एक मकान है, प्रशासन की उस पर भी नजर है. संपत्ति को लेकर जांच पड़ताल जारी है.
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बता दें कि कानपुर कांड का आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के साथ एनकाउंटर में 10 जुलाई की सुबह मार दिया गया था. पुलिस का कहना है कि यूपी एसटीएफ की गाड़ी विकास दुबे को मध्य प्रदेश के उज्जैन से लेकर कानपुर आ रही थी. गाड़ी की रफ्तार तेज थी. बारिश होने से रोड पर फिसलन थी. कानपुर में एंट्री से पहले अचानक रास्ते में गाड़ी पलट गई.
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पुलिस का कहना है कि इस हादसे में विकास दुबे और कई पुलिसवालों को भी चोटें आईं. इसके बावजूद विकास दुबे की नजरें पुलिस के चंगुल से बचकर भागने पर थी. उसने मौका पाकर एसटीएफ के एक जवान की पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश की. इसी के बाद एनकाउंटर शुरू हो गया. एसटीएफ ने विकास दुबे से हथियार सौंप सरेंडर करने को कहा, लेकिन इसके बावजूद वह नहीं माना तो पुलिस को मजबूरन गोली चलानी पड़ी और इस तरह विकास दुबे का अंत हो गया.
अब पुलिस विकास दुबे के मददगारों, उसकी गैंग के अन्य सदस्यों की धरपकड़ कर रही तो दूसरी तरफ संपत्ति की जांच भी शुरू हो गई है.
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